Fisher kya hota hai?

फिशर गुदा नालिका की एक बीमारी हैं। इस बीमारी में गुदा नलिका में एक प्रकार की दरार आ जाती है। जिन्हें कब्ज होता है या कठोर मल निकलता है, उन्हें यह दरार आ जाती है।

फिस्टुला की तरह ही यह भी एक दर्दनाक बीमारी है। फिशर होने पर मल त्याग करना बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि दर्द खूब बढ़ जाता है। ज्यादा तैलीय पदार्थ, फास्ट फूड और मैदे से बनी चीजों को खाने पर फिशर हो सकता है।

पेट से जुडी समस्या अक्सर बीमारी को न्योता देती हैं। गुदा नालिका से जुडी यह बीमारी शिशु और वयस्क लोगों में होने के चांसेस  ज्यादा होते हैं। इस बीमारी में दर्द कि मात्रा ज्यादा होती हैं। 

Fisher Kya Hota Hai?

फिशर गुदा नालिका में आने वाली दरार होती हैं। इसके वजह से मल त्याग के दौरान खून आने लगता हैं। आम तौर पर फिशर सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं, हालांकि, यह मुख्य रूप से शिशुओं या मध्यम आयु वर्ग के लोगों में आम है।

दरारों को अक्सर घर पर ही हटाया जा सकता है और जरूरी नहीं कि इससे स्वास्थ्य को कोई खतरा हो। हल्के मामलों में मल सॉफ़्नर या कुछ सामयिक दर्द निवारक दवाएं मदद कर सकती हैं।

हालाँकि, बार-बार होने वाली दरारें या जो कई घरेलू उपचारों या दवाओं के बाद भी दूर नहीं होती हैं, एक समस्या हो सकती हैं। यदि आपके फिशर के प्रकट होने के 6 सप्ताह के बाद भी लक्षण दिखना बंद नहीं हुआ है या बार-बार होता रहता है, तो यह एक पुरानी फिशर का मामला हो सकता है।

अगर कुछ भी काम नहीं करता है, तो आपका डॉक्टर सर्जरी के लिए कह सकते है। कभी-कभी, अन्य अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याएं भी विदर को आवर्ती बना सकती हैं। ऐसे मामले में, रोगी के नैदानिक ​​परीक्षणों से डॉक्टरों को समस्या के मूल कारण का पता लगाने में मदद मिलेगी।

Fisher Kyo Hota Hai ?

फिशर होने के कुछ मुख्य कारण हैं। फिशर गुदा विदर के कारण हो सकता हैं। गुदा और गुदा नहर को आघातहोने से गुदा नलिका  में दरार आ सकती हैं जिसके कारण फिशर हो सकता हैं। यह आघात होने के एक या अधिक कारण सकते है। जो मुख्य रूप से आगे दिए गए हैं। 

पुरानी (दीर्घकालिक) कब्ज, 

मल त्याग करने के लिए दबाव डालने से यह समस्या हो सकती हैं। खासकर अगर मल का आकार बड़ा, सख्त और/या सूखा हो तब दबाव डालने से तकलीफ हो सकती हैं। 

फिशर कि समस्या में लोगों को लंबे समय तक दस्त कि समस्या होती हैं, गुदा मैथुन करना फिशर होने का एक कारण हो सकता हैं।

गुदा में खिंचाव आना , गुदा में विदेशी वस्तुओं का प्रवेश होना गुदा नलिका में दरार पैदा कर सकता हैं। इन जैसे आघात होने से फिशर हो सकता हैं। हम बता दें कि आघात के अलावा भी अन्य कारण हैं जिससे फिशर हो सकता हैं।

Fisher Hone Ke lakshan

फिशर होने पर कई लक्षण दिखाई देते हैं। गुदा मार्ग में दर्द होना, खून आना, मल त्यागने में समस्याएं होना, मल त्याग के दौरान और घंटों बाद भी दर्द होना,गुदा में पस आना, कब्ज कि समस्या होना,मल की बाहरी सतह पर खून आना,  गुदा या गुदा नहर में दिखाई देने वाली दरार होना, जलन और खुजली जो दर्दनाक हो सकती है, पेशाब करते समय बेचैनी महसूस करना , बार-बार पेशाब आना, या पेशाब करने में समस्या होना आदि  फिशर के लक्षण हैं।साथही दुर्गंधयुक्त स्राव फिशर होने कि ओर इशारा करता हैं।

फिशर के शुरुआती लक्षण दिखने पर ही अधिक से अधिक मात्रा में पानी का सेवन शुरू कर दें। मसालेदार और मैदा युक्त चीजों का सेवन बिल्कुल बंद कर दें। कोशिश करें कि पेट ठीक से साफ हो जाए क्योंकि कब्ज रहा तो आपकी समस्याएं और भी बढ़ सकती हैं।

Babasheer Aur Anal Fisher Me Antar

बवासीर बहुत ही पीड़ादायक रोग है। इसका दर्द असहनीय होता है। बवासीर मलाशय के आस-पास की नसों में सूजन के कारण विकसित होता है।

गुदा व गुदा नलिका की त्वचा की त्वचा में क्षति होना फिशर का सबसे सामान्य कारण होता है। ज्यादातर मामलों में यह उन लोगों को होता है जिन्हें कब्ज़ की समस्या रहती है।

विशेषत: जब कठिन और बड़े आकार का मल गुदा के अंदर गुजरता है तो वह गुदा नलिका की परतों को नुकसान पहुँचा देता है।बवासीर को पहचानना बहुत ही आसान है।

मलत्याग के समय मलाशय में अत्यधिक पीड़ा और इसके बाद रक्तस्राव, खुजली इसका लक्षण है। इसके कारण गुदा में सूजन हो जाती है।

जब आपकी गुदा या गुदा नलिका में किसी प्रकार का कट या दरार बन जाती है तो इसे एनल फिशर कहते हैं। एनल फिशर की समस्या तब होती है जब आप मल त्याग के दौरान कठोर और बड़े आकार का मलत्याग करते हैं। फिशर में भी मल त्याग के समय दर्द होना और खून आना एक सामान्य लक्षण है।

फिशर के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं। 

1.तीव्र गुदा विदर, जो छह में साफ हो जाता है

सप्ताह। यह सबसे आम प्रकार है, और आम तौर पर स्पष्ट किनारों के साथ रैखिक के रूप में प्रकट होता है। 2. पुरानी गुदा विदर, जो इससे अधिक समय तक बनी रहती है।  जीर्ण गुदा विदर उपचार समय

भिन्न होता है। 

Babasheer Aur Fisher Ke Lakshano Me Antar

  • दर्दनाक मल त्याग जिससे मलाशय या गुदा को चोट पहुँच सकती है।
  • बवासीर में मल त्याग के दौरान ब्लीडिंग होती है जबकि फिशर में मल त्याग के पश्चात्।
  • बवासीर में गुदा से एक बलगम जैसा स्राव निकलता है।
  • गुदा के पास एक दर्दनाक सूजन या मस्से का होना।
  • बवासीर और फिशर दोनों में ही खुजली होना।

Fisher Se Bachne Aur Rokne Ke Upay

आप कब्ज़ की रोकथाम करके एनल फिशर विकसित होने के जोखिमों को कम कर सकते हैं। कब्ज़ की रोकथाम निम्नलिखित तरीकों से कर सकते हैं।

उचित आहार लेना किसी भी बीमारी में कारगर होता हैं। फल, सब्जियाँ, आदि का सेवन भरपूर करें। 

फिशर से ग्रसित रोगी को मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि फिशर की स्थिति में मांस का सेवन किया जाए तो कब्ज़ होने की संभावना बढ़ सकती है, जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है।

अधिक मात्रा में जल का सेवन करें। इससे आपका मल नरम होगा और एनल फिशर होने की संभावना कम होगी। 

साथ ही आगे दिए गए सुझाव से जीवनशैली में कुछ बदलाव लाने से राहत मिल सकती हैं।

  • गर्म पानी से स्नान करें।
  • धूम्रपान एवं शराब का सेवन करना टाले, इससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इनसे बिमारियां होने की संभावना ज्यादा हो जाती है।
  • जब आपको शौचालय जाने की इच्छा महसूस हो तो उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। आंतों को समय में खाली कर देना चाहिए। यदि ऐसा न किया जाए तो आंतों में जमा मल कठोर बन जाता है, जो गुदा के अन्दर से गुजरने के दौरान दर्द व गुदा में दरार पैदा कर सकता है। इसलिए वक़्त पर शौचालय जाना बेहतर होता हैं। 
  • शौचालय में अधिक देर तक न बैठे।
  • शौचालय में बैठ कर अधिक जोर ना लगाएं।
  • हर रोज योगाभ्यास करें।

Fisher Se Rahat Pane Ke Gharelu Upay

हमारे आयुर्वेदा में हर बीमारी के लिए घरेलु उपचार दिए गए हैं। जो आगे दिए गए हैं।

आपको फाईबर युक्त आहार का सेवन करना हैं। 

प्रतिदिन थोड़ा व्यायाम करने से आराम मिलेगा।

खूब मात्रा में तरल पदार्थ पीने राहत मिल सकती हैं।

अपने आहार में फल, सब्जियां, सेम और साबुत अनाज आदि शामिल करें जिससे पाचक संस्था अच्छी तरह से नियंत्रित रहेगी।

मल त्याग के दौरान दर्द को कम करने के लिए मल को नरम करने वाले उत्पाद या लैक्सेटिव आदि का प्रयोग करें।

एक टब में गर्म पानी डालें और उसमें 20 मिनट तक बैठें। ऐसा प्रतिदिन 2 से 3 बार करें। कुछ हफ्तों तक ऐसा करने से क्षतिग्रस्त ऊतकों के दर्द को कम करता है।

मल त्याग करने से बचने की कोशिश न करें। लेकिन बिना इच्छा के मल त्याग करने की कोशिश न करें, क्योंकि ऐसा करना स्थिति को और बदतर बना सकता है और दर्दनाक स्थिति पैदा कर सकता है।

वैसे तो फिशर घरेलु उपचार से ठीक हो सकता हैं मगर फिशर के सभी मामले घरेलु इलाज से ठीक नहीं हो पाते। यदि एनल फिशर की समस्या 8 से 12 सप्ताह तक रहती है।

घरेलु देखभाल के तरीकों से फिशर ठीक न होने पर, उपचार के लिए सर्जरी को शामिल करने कि आवश्यकता हैं। 

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Doctor Ke Pas Kab Jana Chahiye?

आमतौर पर फिशर के सभी मामले घरेलु उपचार से ठीक हो जाते हैं। अगर फिशर की समस्या 8 से 12 सप्ताह तक रहती है तो आपको उसके लिए डॉक्टर से मिलना चाहिए।

घरेलु देखभाल के तरीकों से फिशर ठीक न होने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द सम्पर्क करना चाहिए क्योंकि ऐसे मामलों में सर्जरी करनी पड़ सकती है।

वैसे तो एनल फिशर ऐसी गंभीर बीमारी नहीं हैं मगर  एनल कैंसर के लक्षण  एनल फिशर की नकल कर सकता है। इसलिए किसी भी घबराहट के बगैर आप इसका इलाज करवा सकते हैं। 

Frequently Asked Question

1. Fisher Kitne Dino Me Theek Hojata Hai?

फिशर आमतौर पर 4 से 6 सप्ताह तक रहता है जब घरेलू उपचार और स्व-देखभाल तकनीकों के साथ इलाज किया जाता है। इस स्थिति के कारण होने वाला दर्द पहले दो से तीन दिनों में ही कम हो जाता है। कुछ मामलों में, इसे ठीक होने में 8 से 12 सप्ताह तक का समय लग सकता है।

2. Fisher Ke Kya Lakshan Hote Hai?

मल त्याग के समय खून का आना सामान्य होता है। -गुदा के आस-पास जलन या खुजली होना। -गुदा के आस-पास के क्षेत्र में खुजली होना। -गुदा के आस-पास के क्षेत्र में तीव्र जलन होना।

3. Fisher Beemari Kyon Hoti Hai?

फिशर होने के पीछे बहुत सारे कारण होते हैं जो मूल रूप से रहन-सहन और खान-पान पर निर्भर करता है। गुदा या गुदा नलिका की त्वचा में क्षति होना फिशर का सबसे सामान्य कारण होता है। ज्यादातर फिशर उन लोगों को होता सकता है जिनको कब्ज़ की समस्या होती है।

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