Sanchar Kya Hai | संचार किसे कहते हैं परिभाषा, प्रकार

Sanchar Kya Hai:- संचार एक हिंदी शब्द है जिसका अर्थ है “संचार।” यह इलेक्ट्रॉनिक या गैर-इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सूचना या डेटा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। इलेक्ट्रॉनिक संचार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, जैसे कंप्यूटर, स्मार्टफोन या रेडियो का उपयोग करके सूचना या डेटा के प्रसारण को संदर्भित करता है।

इसमें ईमेल भेजना, फ़ोन कॉल करना या टेक्स्ट संदेश भेजना जैसी गतिविधियां शामिल हो सकती हैं। गैर-इलेक्ट्रॉनिक संचार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग के बिना सूचना या डेटा के प्रसारण को संदर्भित करता है, जैसे कि एक पत्र लिखना या व्यक्तिगत रूप से संदेश देना। कुल मिलाकर, संचार उन सभी तरीकों को समाहित करता है जिनमें लोग एक दूसरे के साथ संवाद और सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।

संचार की परिभाषा

संचार के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन संभव नहीं है , मानव सभ्यता के विकास में संचार कि अहम भूमिका है. संचार शब्द की उत्त्पति संस्कृत के ‘ चर’ धातु से हुआ है जिसका मतलब होता है चलना या एक जगह से दूसरी जगह पर जाना. उसी प्रकार संचार भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक सूचनाएं , अभिव्यक्ति , भावनाओं को पहुंचाना होता है.

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Sanchar Kya Hai | संचार किसे कहते हैं परिभाषा, प्रकार, प्रक्रिया

संचार के उदेश्य

संचार के जरिए हम नई नई चीजे सीख सकते हैं, लोगों को अपने communication Skill से प्रभावित कर सकते हैं. आजकल की Fast Life में संचार की सबसे ज्यादा अवश्यकता है अपने आप को अपग्रेड रखने, शिक्षा के लिए, जॉब के लिए संचार की आवश्यकता पड़ती है इसके अलावा संचार से ज्ञान विशेषता और कौशल मिलता है लोगों से प्रेरणा और मनोबल मिलता है , सामाजिक और राष्ट्रीय एकता संचार सूचना और खुद को आहत रखने और निर्णय लेने के लिए सहायक है . Sanchar Kya Hai: समूह के संचालन और नियंत्रण में संचार सहायक है.

प्रभावी संचार किसे कहते हैं?

Sanchar Kya Hai | संचार किसे कहते हैं परिभाषा, प्रकार, प्रक्रिया

प्रभावी संचार को अंग्रेजी में Effective Communication कहते हैं. ऐसा संचार जो स्पष्ट रूप से और सफलतापूर्वक प्राप्त हो जिसे आसानी से समझा जा सके उसे प्रभावी संचार कहते हैं यानि की आप जो बात समझा रहे हैं वो बात आसानी से सामने वाले को समझ में आ जाए. प्रभावी संचार तभी संभव है जब हम व्यावहारिक मूलभूत कौशलों  के मूलभूत सिद्धांतों का अनुपात करेंगे इन्हें 7C यानि स्पष्ट, संक्षिप्त, ठीक,यथार्थपूर्ण, सुसंगत, पूर्ण और शिष्ट होना कहते हैं.

मतलब आप जो भी बात कहना चाहते हैं उसके बारे में स्पष्ट रहें संक्षिप्त में बाते समझाएं जो आवश्यक है वही बोले. संचार यथार्थपूर्ण होना चाहिए आप जो भी बोल रहे हैं उसकी मीनिंग होनी चाहिए आप जो भी बात कर  रहे हैं उसकी भाषा और व्याकरण सही होनी चाहिए.

इसके अलावा जिस विषय के बारे में बात कर रहे हैं सिर्फ उसी पर बात करें बीच में किसी और विषय को ना जोड़े जो भी बात आप बता रहें हैं वो पूरी होनी चाहिए आधी अधूरी नहीं होनी चाहिए संचार करते समय आपकी भाषा विनम्र  और सम्मानजनक होनी चाहिए इसे कहते हैं प्रभावी संचार.

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संचार के प्रकार व साधन

संचार क्या है | संचार किसे कहते हैं

लिखित संचार- पत्र, अखबार आदि के द्वारा संचार करने को लिखित संचार कहते हैं. किसी को पत्र के जरिए अपनी भावनाओं को या अपनी बातों को स्पष्ट करना और अखबार के जरिए देश दुनिया में घटित हुई घटनाओं को लोगों तक पहुंचाना लिखित संचार होता है.

मौखिक संचार ध्वनि, संदेश के जरिए संचार करने को मौखिक संचार कहते हैं  आज के समय में मौखिक संचार के कई साधन उपलब्ध हैं जैसे टीवी, मोबाइल, रेडियो, इंटरनेट के जरिए मौखिक रूप से संचार किया जा सकता है .

सांकेतिक संचार चिन्ह, निर्देश आदि के जरिए संचार को सांकेतिक संचार कहते हैं, जैसे किसी भी संकेत या चिन्ह का प्रयोग कर के कोई व्यक्ति अपने भावों और विचारों को आपके सामने प्रगट करता है उसे सांकेतिक भाषा कहते हैं. सांकेतिक भाषा का प्रयोग करने के लिए व्यक्ति हाथों, उंगलियों , इशारों या चेहरे के हाव भाव से अपनी बातों को स्पष्ट करता है और समझता है.

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संचार की प्रक्रिया

वह प्रक्रिया जो संदेश देने वाला संचारक ( Sender) और संचार प्राप्त करने वाला प्रापक (Receiver) के बीच निरंतर चलती रहती है. संचार प्रक्रिया में संचारक , संदेश और प्रापक ये तीन मूल तत्व होते हैं जिनके संचार से प्रक्रिया प्रारंभ होती है. संचार और प्रापक की संदेश संचरण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

जनसंचार की विषेताएं

संचार की जटिल प्रक्रिया को इन विशेषताओं के आधार पर समझा जा सकता है:

  1. संचार सूचना हस्तांतरण की एक प्रक्रिया है, संचार एक ऐसी प्रक्रिया है जो विभिन्न तरीकों से मनुष्यों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान को संभव बनाती है।
  2. संचार एक सृजनात्मक एवं गतिशील सतत प्रक्रिया है।
  3. संचार की भाषा सुगम, सरल एवं आसानी से समझ में आने वाली होनी चाहिए।
  4. संचार का उद्देश्य स्पष्ट तथा सभी महत्वपूर्ण बातों से परिपूर्ण होना चाहिए और संचार प्राप्तकत्र्ता की मंषा के अनुरूप होने चाहिए।
  5. संचार सही समय पर होना चाहिए।
  6. संचार को प्राप्तकर्ता तक भेजने से पहले उस विषय की पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है।
  7. संदेश ऐसा होना चाहिए जिससे कि किसी की भावनाओं को ठेस न पहुँचे।
  8. संचार लचीला होना चाहिए ताकि आवश्यकतानुसार उसमें परिवर्तन किया जा सके।
  9. संचार में प्रयोग किये जाने वाले कार्य खर्चीले नहीं होने चाहिए तथा उसमें ऐसा गुण होना चाहिए जिससे कि पूरे समाज वर्ग के लोग उससे लाभ अर्जित कर सके।
  10. संचार की द्विमार्गीय प्रक्रिया जहाँ पर विचारों का आदान-प्रदान सुनियोजित ढंग से होता है वह श्रेष्ठ है।
  11. संचार एक प्रकार की साझेदारी है जिसमें ज्ञान अभिव्यक्ति सूचनाओं का अर्थ सामने वाले को समझाकर ही हम सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।
  12. संचार हमें एक सूत्र में बाँधता है। संचार समाज के विकास में महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में जाना जा सकता है।

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संचार के कार्य

संचार क्या है | संचार किसे कहते हैं परिभाषा, प्रकार, प्रक्रिया

संचार का महत्व

व्यवसायिक क्रियाओं में संचार का विशेष महत्व होता है . संचार के द्वारा संस्था में कार्य कर रहे लोगों  को आपस में जोड़ा जा सकता है संचार किसी भी संस्था के लिए बहुत आवश्यक होता है. Sanchar Kya Hai: संचार के जरिए कर्मचारियों को सही समय पर सही निर्देश प्राप्त होते हैं संचार के द्वारा संगठन के लोगों के व्यवहारिक कठिनाइयों की जानकारी और उनपर नियंत्रण किया जा सकता है.

संचार के जरिए मनोबल  वृद्धि में सहायता मिलती है. बाहर की दुनिया से बेहतर तरीके से संपर्क करने में सहायक होता है अन्य संस्थाओं से संपर्क कर बाह्य जगत के बारे में जानकारी हासिल कर पाने में सहायक. सामूहिक नेतृत्व में संचार सहायक होता है और बिना संचार के मानवीय संसाधनों को गतिमान किया जाना असंभव है संचार के जरिए लोग एक दूसरे से अपने सुख दुख और भावनाओं का आदान प्रदान करते हैं.

संचार के मूल तत्व क्या हैं

संदेश (Massage) – प्रापक से संचारक जो भी कुछ कहना चाहता है वो संदेश होता है ये लिखित , मौखिक या सांकेतिक रूप में हो सकता है .

प्रेषक (Sender) – प्रेषक वो होता है जो संचार प्रक्रिया में सबसे अहम भूमिका निभाता है ये प्राप्तकर्ता की समस्याओं व आवश्यकताओं के अनुरूप संदेश तैयार करता है.

माध्यम (Medium) – संचार प्रक्रिया में माध्यम एक सेतु के तरह काम करता है जो संचारक और प्रापक को जोड़ने का काम करता है. संदेश कितने समय में किस गति से श्रोताओं तक पहुंचेगा ये माध्यम पर निर्भर करता है.

प्राप्तकर्ता (Receiver) – प्राप्तकर्ता इसे कहते हैं जिसे ध्यान में रखकर संचारक अपने संदेश का निर्माण उचित रूप से करता है. प्राप्तकर्ता यानि Receiver कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह भी हो सकता है.

प्रतिपुष्टि (Feedback) – प्रतिपुष्टि यानि की Feedback इससे यह पता चलता है की प्रापक ने संचारक के संदेश को ग्रहण किया है की नहीं फीडबैक से ये पता चलता है की संचार में कहीं कोई गलती तो नहीं हो रही है . फीडबैक सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रकार का हो सकता है. Sanchar Kya Hai:

शोर (Noise) – संचार प्रक्रिया में शोर एक प्रकार का अवरोध है इसे बाधा भी कहते हैं जैसे रेडियो और टीवी पर संचार के दौरान आवाज में में खराबी या सरसराहट का आना फोन पर बात करते समय आसपास की आवाज का आना यह संचार में एक बाधा का काम करते हैं जिसे शोर कहते हैं.