वैश्वीकरण का अर्थ – Vaishvikaran Ka Arth- सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि वैश्वीकरण business activities का अंतर्राष्ट्रीयकरण है जिसके अंतर्गत पूरा विश्व एक ही बाज़ार के रूप में देखा जाता है। इससे हमें नवीनतम तकनीक तथा उत्पाद से अवगत कराता है ताकि विश्व में हम अपनी पहचान बनाए रख सकें।
किसी वस्तु, सेवा, विचार पद्धति, पूँजी, बौद्धिक सम्पदा अथवा सिद्धान्त को विश्वव्यापी करना अर्थात् विश्व के प्रत्येक देश का अन्य देशों के साथ अप्रतिबन्धित आदान-प्रदान करना ही वैश्वीकरण कहलाता है। और आज के इस पोस्ट के अन्तर्गत हम जानेंगे-
- वैश्वीकरण/भूमंडलीकरण क्या है (Globalization Meaning in Hindi)
- वैश्वीकरण किसे कहते हैं? Globalization in hindi
- वैश्वीकरण के उद्देश्य (Objectives of globalization in hindi)
- वैश्वीकरण की विशेषताएँ (vaishvikaran ki visheshtayein) | Feature Of Globalization
- वैश्वीकरण के फ़ायदे (vaishvikaran ke fayde) | Benefit Of Globalization
- वैश्वीकरण के नुक़सान (vaishvikaran ke nuksan) | वैश्वीकरण के प्रतिकूल प्रभाव | vaishvikaran ke side effects
वैश्वीकरण/भूमंडलीकरण क्या है (Globalization Meaning in Hindi)
- वैश्वीकरण English Word ‘Globalization’ (ग्लोबलाइजेशन) का हिन्दी रूपान्तरण है, जिसे भूमंडलीकरण (Bhumandalikaran) भी कहा जाता है।
- ग्लोबलाइजेशन शब्द की सर्वप्रथम चर्चा ’john nexavar’ की पुस्तक से मिलती है।
- ’ग्लोबलाईजेशन’ (1998) समाजशास्त्री Melcolm Waters द्वारा लिखित पुस्तक है।
- वैश्वीकरण दो शब्दों से मिलकर बना है विश्व + एकीकरण इन दो शब्दों में विश्व का मतलब है पृथ्वी पर मौजूद विभिन्न देश तथा एकीकरण का मतलब है आपसी सहयोग और एक छत के नीचे आकर एक दूसरे की मदद करना।
वैश्वीकरण की बात करें तो यह world economy के साथ एकीकरण के रूप में जाना जाता है। जो कि अपने आप में एक जटिल परिघटना है। यह उन सभी नीतियों का परिणाम है, जिनका उद्देश्य, विश्व को परस्पर निर्भर एवं अधिक एकीकृत करना है। vaishvikaran ki paribhasha हम सीधे शब्दों में कहें तो,
“जब देश विदेश के बाज़ार एक साथ मिलकर काम करते हैं तब ऐसी परिस्थिति को वैश्वीकरण (Globalisation) कहते हैं।”
Vaishvikaran Kya Hai | Globalization in hindi
वैश्वीकरण किसे कहते हैं? Globalization in hindi
Indian Globlization एक ऐसा प्रयास है जिसमें मिलों दूर हो रही घटनाओं के प्रभाव, भारत के घटनाक्रम पर भी स्पष्ट दिखाई देने लगे। वैश्वीकरण समग्र विश्व को border free world बनाने का प्रयास है।
• बाजार किसे कहते हैं? बाज़ार की परिभाषा, विशेषताएँ और उसके प्रकार।
• अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं? इसका अर्थ बताइए एवं इसके प्रकार समझाइए।
• उदारीकरण क्या है? उदारीकरण की आवश्यकता, विशेषताएँ, लाभ और हानि बताइए। Liberalization definition in hindi
शिक्षण कार्य globalization का एक बेहतर उदाहरण है। आज आप बड़ी ही आसानी से घर बैठे देश-विदेश के किसी भी शहर में संचालित संस्था या कोचिंग का लाभ ले सकते हैं। विश्व की किसी भी लेखक की क़िताब का अध्ययन घर बैठे कर सकते हैं। परीक्षा के दिनों में आप ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ लेते हैं। जिन सेवाओं को प्राप्त करने के लिए आपको, दूरस्थ शहरों तक जाना होता था। समय और पैसा ज़्यादा ख़र्च करना पड़ता था, अब आप एक निश्चित फ़ीस देकर इन सेवाओं का लाभ आसानी से ले सकते हैं। और भी जानें- PCOD KYA HOTA HAI | PCOD KA ILAJ
ये सब वैश्वीकरण का ही तो परिणाम है। आज के समय में शैक्षिक वैश्वीकरण की अवधारणा यही है। आधुनिक संचार के माध्यम जैसे- इंटरनेट आदि के माध्यम से ध्वनि और दृश्यों से भरी जानकारियों को डिजिटल रूप में क्षण भर में सम्पूर्ण विश्व में प्रसारित किया जाना संभव हो रहा है। Vaishvikaran Kya Hai | Globalization in hindi
सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि वैश्वीकरण business activities का अंतर्राष्ट्रीयकरण है जिसके अंतर्गत पूरा विश्व एक ही बाज़ार के रूप में देखा जाता है। इससे हमें नवीनतम तकनीक तथा उत्पाद से अवगत कराता है ताकि विश्व में हम अपनी पहचान बनाए रख सकें। इस तरह यह न्यूनतम लागत में दक्ष बनाकर उसे प्रतियोगी रूप देने का एक प्रयास है।
वैश्वीकरण के उद्देश्य (Objectives of globalization in hindi)
वैश्वीकरण के उद्देश्य क्या हैं? आइये हम vaishvikaran ke uddeshya को समझते हैं –
(1) आर्थिक समानता – (Economic Equality)
वैश्वीकरण के प्रमुख उद्देश्य होता है देश में फ़ैली आर्थिक असमानताओं को दूर करना ताकि इन आर्थिक असमानताओं को दूर कर अल्पविकसित और विकासशील देशों को विकसित देशों के श्रेणी में लाया जा सके।
(2) विकास हेतु नवीन साझेदारी करना –
वैश्वीकरण में यही प्रयास होता है कि International level पर नई संधियाँ और नए संगठनों के साथ देश की अर्थव्यवस्था में सर्वत्र विकास की राह सुनिश्चित की जाए।
(3) विश्वबंधुत्व की भावना का विकास करना –
वैश्वीकरण के बहाने brotherhood की भावना का विकास होता है। यदि देश मे प्राकृतिक या अप्राकृतिक विप्पति आ जाए तो शेष विश्व के देशों का यथासंभव भरपूर आर्थिक और मानवीय सहयोग प्राप्त होता है। इस उद्देश्य होते हैं जिनके कारण विश्व के अनेक देश वैश्वीकरण को स्वीकार करते हैं।
(4) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग –
विश्व के सदस्य देशों का अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग पाना भी एक उद्देश्य होता है। व्यापारिक संबंध बनाए रखने हेतु किसी देश द्वारा अन्य देशों के लिए अपने स्तर पर सहयोग देना सीमा के अंदर अनुमति देना भी वैश्वीकरण के एक उदाहरण है। उदाहरण के लिए, अन्य देशों तक पहुंचायी जाने वाली गैस पाइप लाइन को पाकिस्तान ने अपने क्षेत्र से होकर जाने की अनुमति दी है।
वैश्वीकरण की विशेषताएँ (vaishvikaran ki visheshtayein) | Feature Of Globalization
वैश्वीकरण के विशेषताएँ या वैश्वीकरण के महत्व को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते है – Samvidhan Kya Hai | What Is Constitution
- पारस्परिक निर्भरता -वैश्वीकरण से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग, पारस्परिक निर्भरता, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक संबंधों को व्यवहारिक संबंधों में बदलने की प्रक्रिया होती है। भूकंप, बाढ़ और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के विकट समय में अन्तर्राष्ट्रीय सहायता पारस्परिक सहयोगी भावना के कारण ही संभव हो पाती है।
- विकसित देशों द्वारा नियंत्रण -वैश्वीकरण से राष्ट्रों के सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक एवं तकनीकी आदि स्तर पर सुधार के अवसर बढ़ जाते हैं। अन्य अल्पविकसित या विकासशील देशों को विकसित देशों से सीखने मिलता है जिनके सहयोग से उनकी अर्थव्यवस्था में यथासंभव सुधार भी देखने मिलते हैं। वर्तमान में अमरीका जैसे देशों का वर्चस्व विश्व स्तर पर माना जाता है। Vaishvikaran Kya Hai | Globalization in hindi
- मानवता का विकास -वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दूरियां कम हो जाती हैं। वैश्वीकरण से संस्कृतियों का आदान-प्रदान, एक दूसरे से अपनी जीवन शैली को जोड़ने आदि से विश्व की सभ्यता का एकीकरण होता है। विश्व के सभी देश एक दूसरे की शैलियों से सीखते हैं। जिस कारण पिछड़े देशों को अपने आप मे सुधार करने का अवसर प्राप्त होता है।
- तकनीकी स्तर में सुधार – वैश्वीकरण से तकनीकी क्षेत्र में आश्चर्यजनक बदलाव आता है। तकनीकी विकास के कारण विश्व के किसी भी कोने में उत्पन्न समस्या को तकनीकी सहायता से विश्व स्तर पर हल किया जा सकता है। तकनीकी के माध्यम से राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक आयोजनों में एक साथ विश्व के अनेक देश शामिल होकर अपनी विचार धाराएं प्रेषित कर सकते हैं। विश्व स्तर की समस्याओं का समाधान विश्व के सभी देश आपस में मिलकर निकाल लेते हैं।
वैश्वीकरण के फ़ायदे (vaishvikaran ke fayde) | Benefit Of Globalization
आइये हम वैश्वीकरण के फ़ायदे या वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव vaishvikaran ke sakaratmak/positive prabhav in hindi को सरल शब्दों में निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर जानते हैं –
- उत्पादकता में वृद्धि(Growth In Productivity) – वैश्वीकरण होने से बाज़ार में अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता उत्पन्न हो जाती है। फलस्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय स्टार पर वस्तुओं की माँग बनाये रखने के लिए देशी उद्योग अपनी गुणवत्ता सुधारने और अपनी उत्पादकता को बढ़ाने का प्रयास करते हैं।
• हरित क्रांति क्या है? हरित क्रांति के फ़ायदे और नुक़सान। Green revolution meaning in hindi
• वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है? इसकी क्या कमियाँ हैं? मुद्रा ने वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों को किस प्रकार दूर किया है?
- नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार –
- नवीन तकनीकों का विकास –
- रोज़गार के अवसर में वृद्धि-
- प्रत्येक क्षेत्र की कार्यकुशलता में वृद्धि –
- आर्थिक विकास की दर में वृद्धि –
- वस्तुओं व सेवाओं की उपलब्धता –
- निर्यात में तेज़ी वृद्धि –
- विदेशी मुद्रा कोष में वृद्धि –
- अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि –
वैश्वीकरण के नुक़सान (vaishvikaran ke nuksan) | वैश्वीकरण के प्रतिकूल प्रभाव | vaishvikaran ke side effects
यद्यपि आज के युग में वैश्वीकरण को हर जगह स्वीकारा जा रहा है। लेकिन कुछ सालों बाद globalization के दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं। आलोचकों ने वैश्विकरण के प्रतिकूल प्रभाव की संभावनाएँ व्यक्त की है। आइये हम वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव vaishvikaran ke nakaratmak prabhav in hindi को सरल शब्दों में समझने का प्रयास करते हैं –
- श्रमिकों के रोज़गार पर प्रतिकूल प्रभाव –वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप श्रमिकों के रोज़गार पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। देश में पूँजी-गहन टेक्नोलॉजी के अपनाए जाने से देश में बेरोज़गारी बढ़ेगी। देश मे लगातार बढ़ रही श्रम शक्ति को रोज़गार देने में कठिनाई होगी।
- केवल बड़े उद्योगपतियों व पूंजीपतियों को लाभ -प्रायः देखा जाता है कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया में देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों, पूंजीपतियों और बड़ी-बड़ी कंपनियों को ही अधिक लाभ मिलता है। छोटे मोटे उद्योग अथवा उद्यमियों को प्रतियोगिता से बाहर खदेड़ दिया जा सकता है।
- खाद्य फसलों के उत्पादन पर कम ध्यान -देश में टेक्नोलॉजी विकसित हुई है। लेकिन जनसंख्या, ग़रीबी और बेरोज़गारी के लगातार बढ़ने देश में खाद्य सुरक्षा की स्थित और भी ख़राब हो गयी है। वैश्वीकरण की दौड़ में खाद्य फसलों के उत्पादन पर ध्यान नही दिया जा रहा है।
- सार्वजनिक क्षेत्रों की संख्या में कमी -Public Sectors में विनिवेश की नीति अपनाए जाने के कारण सार्वजनिक क्षेत्र लगातार सीमित होते जा रहे है। जिस कारण कर्मचारियों के लिए एक समस्या बनकर खड़ी हो रही है। अब सार्वजनिक क्षेत्रों के द्वारा सामाजिक, आर्थिक न्याय के उद्देश्य से कार्य करना चुनौतीपूर्ण हो रहा है।
- अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं का दबाव – वैश्वीकरण आ जाने के कारण अब भारत में बनायी जाने वाली नीतियाँ IMF, WORLD BANK, विश्व के संपन्न राष्ट्रों एवं बहुराष्ट्रीय कंम्पनियों के दबाव में बनाई जा रही हैं।
- घरेलू कंम्पनियों का अधिग्रहण -भारतीय वैश्वीकरण की बात करें तो अब विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियां, घरेलू कंम्पनियों को धीरे-धीरे अधिग्रहित कर रही हैं। ऐसे में, आने वाले समय में भारत, फ़िर से ग़ुलामी की ज़ंजीर में जकड़ा जा सकता है।
- देश की संस्कृति को ख़तरा -वैश्वीकरण के फलस्वरूप पश्चिमी देशों में प्रचलित विलासिता के साधन, वस्तुएँ एवं अश्लील साहित्य का भारतीय बाज़ारों में प्रवेश हो चुका है। जिस कारण सांस्कृतिक पतन का ख़तरा मंडराने लगा है।
- नई टेक्नोलॉजी भारत के लिए उपयुक्त नहीं -वैश्वीकरण से प्राप्त new technology भारत के लिए उपयुक्त नहीं। इससे भारत में समस्याएँ सुलझने के बजाय उलझती जा रही हैं। देश में ऊर्जा संकट, जल संकट और प्रदूषण की समस्याएँ बढ़ती ही जा रही है।
- राष्ट्रीय प्रेम की भावना को आहत– वैश्वीकरण राष्ट्र प्रेम एवं स्वदेश की भावना को आघात पहुँचा रहा है। अब लोग विदेशी वस्तुओं का उपभोग करना शान समझते है एवं देशी वस्तुओं को घटिया एवं तिरस्कार योग्य समझा जाने लगा है।
- आर्थिक असंतुलन की स्थिति – वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप विश्व में आर्थिक असंतुलन निर्मित हो रहा है। दरअसल वैश्वीकरण के चलते ग़रीब राष्ट्र और अधिक ग़रीब एवं अमीर राष्ट्र और भी अधिक अमीर हो रहे हैं। इतना ही नहीं, देश के अंदर भी आर्थिक असंतुलन लगातार बढ़ रहा है। देश में ग़रीब एवं अमीर व्यक्तियों के बीच आर्थिक विषमताएं बढ़ रही हैं।